Adhik Maas 2026: हिंदू पंचांग के अनुसार, आने वाला साल 2026 सामान्य वर्षों से थोड़ा अलग और विशेष होने वाला है। जहाँ अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार साल में 12 महीने होते हैं, वहीं विक्रम संवत 2082 (साल 2026) में हमें 13 महीने देखने को मिलेंगे। खगोलीय और ज्योतिषीय दृष्टि से इस अतिरिक्त महीने को ‘अधिक मास’, ‘मलमास’ या ‘पुरुषोत्तम मास’ के नाम से जाना जाता है।
आइए जानते हैं कि साल 2026 में यह दुर्लभ संयोग क्यों बन रहा है और इसका हमारे जीवन व धर्म पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
कब से कब तक रहेगा अधिक मास 2026?
साल 2026 में अधिक मास का योग ज्येष्ठ (Jyeshtha) के महीने में बन रहा है। गणना के अनुसार:
- शुरुआत: 17 मई 2026
- समाप्ति: 15 जून 2026
इसका अर्थ यह है कि 2026 में ‘जेठ’ का महीना 30 दिनों का न होकर लगभग 59 दिनों का होगा। यानी इस साल दो ज्येष्ठ मास होंगे—एक ‘शुद्ध ज्येष्ठ’ और दूसरा ‘अधिक ज्येष्ठ’।
क्यों होता है 13 महीनों का साल? (वैज्ञानिक व ज्योतिषीय कारण)
हिंदू कैलेंडर सूर्य और चंद्रमा दोनों की चाल पर आधारित होता है। इनके बीच सामंजस्य बिठाने के लिए ही ‘अधिक मास’ की व्यवस्था की गई है:
- सौर वर्ष vs चंद्र वर्ष: एक सौर वर्ष (Solar Year) लगभग 365 दिन और 6 घंटे का होता है, जबकि एक चंद्र वर्ष (Lunar Year) 354 दिनों का होता है।
- 11 दिनों का अंतर: इन दोनों के बीच हर साल लगभग 11 दिनों का अंतर आ जाता है।
- संतुलन की प्रक्रिया: तीन सालों में यह अंतर बढ़कर 33 दिन (लगभग एक महीना) हो जाता है। इसी अंतर को दूर करने और ऋतुओं के साथ तालमेल बिठाने के लिए हर 32 महीने, 16 दिन और 4 घंटे के अंतराल पर पंचांग में एक अतिरिक्त महीना जोड़ा जाता है।
पुरुषोत्तम मास: धार्मिक महत्व और मान्यताएं
धार्मिक पुराणों के अनुसार, मलमास को भगवान विष्णु ने अपना नाम दिया है, इसलिए इसे ‘पुरुषोत्तम मास’ कहा जाता है।
- भगवान विष्णु की कृपा: यह महीना श्री हरि की उपासना के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दौरान की गई भक्ति का फल सामान्य दिनों की तुलना में अनंत गुना अधिक मिलता है।
- आध्यात्मिक शुद्धि: इस महीने में लोग श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण, दान-पुण्य और तीर्थ यात्रा करते हैं।
क्या करें और क्या न करें?
अधिक मास के दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन किया जाता है:
वर्जित कार्य (मनाही):
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस अवधि में सूर्य की संक्रांति नहीं होती (सूर्य राशि नहीं बदलता), इसलिए इसे ‘मलमास’ माना जाता है। इस दौरान ये शुभ कार्य नहीं किए जाते:
- विवाह संस्कार
- मुंडन और यज्ञोपवीत
- नया घर खरीदना या गृह प्रवेश
- नया व्यवसाय शुरू करना
शुभ कार्य (क्या करें):
- मंत्र जप: ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करना।
- दान: पीले अनाज, वस्त्र और दीपदान का विशेष महत्व है।
- व्रत: एकादशी व्रत और पुरुषोत्तम मास व्रत रखना अत्यंत फलदायी होता है।
निष्कर्ष
2026 का अधिक मास न केवल पंचांग के संतुलन को बनाए रखने की एक खगोलीय घटना है, बल्कि यह हमारे लिए आध्यात्मिक उन्नति का एक सुनहरा अवसर भी है। 17 मई से 15 जून के बीच का यह समय सांसारिक चमक-धमक से हटकर ईश्वर भक्ति में लीन होने का है।




