Herbicides Effects On Soil – आज के दौर में, जब खेती में श्रम-बल कम होता जा रहा है, किसान तेज़ी से और कम मेहनत में खरपतवार (Weeds) को नियंत्रित करने के लिए तृणनाशकों (Herbicides) का सहारा ले रहे हैं। यद्यपि ये रसायन खरपतवारों को नष्ट करने में अत्यधिक प्रभावी हैं, लेकिन इनके अंधाधुंध और अत्यधिक उपयोग से हमारी मिट्टी (Soil) और पर्यावरण (Environment) पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहे हैं।
यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि रासायनिक तृणनाशकों का हमारी उपजाऊ मिट्टी पर क्या असर होता है और इनका उपयोग करते समय क्या-क्या एहतियात बरतनी चाहिए।
मिट्टी पर तृणनाशकों के घातक दुष्परिणाम : Herbicides Effects On Soil
तृणनाशक केवल खरपतवारों को ही नहीं मारते, बल्कि मिट्टी के प्राकृतिक संतुलन को भी बिगाड़ते हैं।
1. सूक्ष्मजीवों पर विपरीत प्रभाव –
मिट्टी लाखों सूक्ष्मजीवों (Microorganisms) का घर है, जिनमें बैक्टीरिया और फफूंद शामिल हैं। ये जीव मिट्टी को उपजाऊ बनाने, जैविक पदार्थों को विघटित करने और उर्वरकों में मौजूद पोषक तत्वों को पौधों के लिए उपलब्ध कराने जैसे महत्वपूर्ण कार्य करते हैं।
- कुछ शक्तिशाली तृणनाशक इन लाभदायक सूक्ष्मजीवों की संख्या को कम कर देते हैं।
- इससे मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरता घटती है और पौधों को ज़रूरी पोषक तत्व मिलने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है।
2. मिट्टी की संरचना और भौतिक गुणों में गिरावट –
तृणनाशकों का अत्यधिक और लगातार उपयोग मिट्टी की बनावट को खराब करता है:
- भुसभुसापन कम होना: रसायनों के कारण मिट्टी का भुसभुसापन (friability) कम हो जाता है।
- मिट्टी का कड़ा होना (Soil Compaction): इन रसायनों के अवशेषों से मिट्टी कड़ी और सघन (compact) होने लगती है।
- जलधारण क्षमता में कमी: कड़ी मिट्टी की पानी और पोषक तत्व पकड़ने की क्षमता कम हो जाती है।
- वायु संचार में बाधा: जड़ों को मिलने वाली हवा (Oxygen) की मात्रा कम हो जाती है, जिससे फसलों की वृद्धि रुकती है और अपेक्षित उत्पादन नहीं मिलता।
3. रासायनिक अवशेषों का दुष्प्रभाव (Residues) –
तृणनाशकों के कुछ रसायन मिट्टी में लंबे समय तक बने रहते हैं, जिन्हें अवशेष (Residues) कहा जाता है।
- ये अवशेष अगली फसल पर भी बुरा असर डाल सकते हैं।
- ये मिट्टी के केंचुए (Earthworms) और अन्य लाभकारी फफूंदों को भी नुकसान पहुँचाते हैं।
- सबसे खतरनाक बात यह है कि ये अवशेष खाद्य श्रृंखला (Food Chain) के माध्यम से इंसानों के शरीर में प्रवेश कर सकते हैं और स्वास्थ्य पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
4. जल प्रदूषण का खतरा –
जब बारिश होती है या खेत में सिंचाई की जाती है, तो तृणनाशकों के रसायन बहकर कुओं, नदियों और नालों में मिल जाते हैं।
- इससे सिंचाई के पानी की गुणवत्ता खराब होती है।
- यह जल प्रदूषण जलीय जीवों और उस पानी पर निर्भर मनुष्यों तथा जानवरों के लिए घातक होता है।
5. मानव और पशु स्वास्थ्य पर खतरा –
पानी और फसलों के माध्यम से ये हानिकारक रसायन मनुष्यों और पालतू जानवरों के शरीर में प्रवेश करते हैं।
- मनुष्यों में, ये कैंसर और तंत्रिका तंत्र (Nervous System) से संबंधित गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
- पालतू जानवरों के दूध और मांस में भी इन तृणनाशकों के अवशेष पाए जा सकते हैं।
तृणनाशकों का उपयोग करते समय ज़रूर बरतें ये सावधानियां :
रासायनिक तृणनाशकों के दुष्परिणामों को कम करने और उनका सुरक्षित उपयोग सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
| क्रमांक | सावधानी (Precaution) | विवरण (Description) |
| 1. | सही मात्रा और समय | हमेशा विशेषज्ञों की सलाह लें और अनुशंसित (Recommended) मात्रा और सही समय पर ही तृणनाशक का उपयोग करें। |
| 2. | जैविक और यांत्रिक विकल्प | यथासंभव जैविक तृणनाशकों, हाथ से निराई (Hand Weeding), या पलवार/मल्चिंग (Mulching) जैसी तकनीकों का उपयोग करें। |
| 3. | मिट्टी में सुधार | तृणनाशक का उपयोग करने के बाद, मिट्टी की सेहत सुधारने के लिए जैविक खाद, कम्पोस्ट, और केंचुआ खाद (Vermicompost) का भरपूर इस्तेमाल करें। |
| 4. | सुरक्षा उपकरण | छिड़काव करते समय, दस्ताने (Gloves) पहनें, मुंह पर मास्क या कपड़ा बांधें, और शरीर को पूरी तरह से ढक कर रखें। |
| 5. | छिड़काव के बाद सफाई | छिड़काव खत्म होते ही, अपने हाथ और शरीर को साबुन से अच्छी तरह धोएं। |
| 6. | छिड़काव का समय | सुबह 11 बजे से पहले छिड़काव करें। तेज हवा चल रही हो, तो छिड़काव न करें, ताकि रसायन उड़कर अन्य जगहों पर न जाए। |
| 7. | रसायन का दोहराव टालें | एक ही किस्म के तृणनाशक का बार-बार उपयोग करने से बचें। रोटेशन में अलग-अलग रसायनों का इस्तेमाल करें। |
निष्कर्ष: तृणनाशकों का उपयोग एक आवश्यकता हो सकती है, लेकिन इनके दीर्घकालिक दुष्प्रभावों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। एक समझदार किसान के रूप में, हमें मिट्टी की सेहत और पर्यावरण को प्राथमिकता देनी चाहिए और रासायनिक नियंत्रण के साथ-साथ जैविक और यांत्रिक विधियों को अपनाना चाहिए। Herbicides Effects On Soil






