Property Registration – देश में संपत्ति की खरीद-बिक्री की प्रक्रिया में एक ऐतिहासिक बदलाव आने वाला है। केंद्र सरकार ने भूमि पंजीकरण (Property Registration) से संबंधित नए और कड़े दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जो 1 जनवरी 2026 से पूरे देश में प्रभावी होंगे। इन व्यापक सुधारों का मुख्य उद्देश्य संपत्ति पंजीकरण को पूरी तरह से डिजिटल, पारदर्शी और नागरिक-अनुकूल बनाना है। यह परिवर्तन रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता और विश्वास का एक नया अध्याय शुरू करेंगे।
आधुनिकीकरण की ज़रूरत: क्यों बदल रही है रजिस्ट्री प्रणाली? Property Registration
पुरानी और पारंपरिक भूमि पंजीकरण व्यवस्था लंबे समय से कई चुनौतियों से जूझ रही थी। लंबी कतारें, प्रक्रिया की जटिलता, दस्तावेज़ों का भौतिक ढेर और भ्रष्टाचार की गुंजाइश जैसी समस्याओं ने नागरिकों को परेशान किया है। ‘डिजिटल इंडिया’ पहल के तहत, सरकार ने इन सभी समस्याओं का समाधान टेक्नोलॉजी के माध्यम से करने का निर्णय लिया है। नई व्यवस्था में, संपत्ति मालिकों और खरीदारों को अब सरकारी दफ्तरों के बार-बार चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे, क्योंकि अधिकांश काम घर बैठे ऑनलाइन ही पूरे हो जाएंगे।
नए रजिस्ट्री नियमों की प्रमुख विशेषताएं :
1. पूर्ण डिजिटल और पेपरलेस प्रणाली –
नए दिशा-निर्देशों के तहत, संपूर्ण पंजीकरण प्रक्रिया इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से की जाएगी।
संपत्ति से संबंधित सभी दस्तावेज़, जैसे स्वामित्व प्रमाण और बिक्री विलेख (Sale Deed), केवल डिजिटल रूप में अपलोड किए जाएंगे।
प्रमाणीकरण और सत्यापन भी एक सुरक्षित ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर होगा।
दस्तावेज़ों पर इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर (e-Signature) का उपयोग अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे प्रक्रिया में जालसाजी की संभावना कम होगी।
पंजीकरण पूरा होते ही, नागरिक को तुरंत डिजिटल प्रमाण पत्र उपलब्ध करा दिया जाएगा।
2. आधार आधारित सत्यापन और बायोमेट्रिक पहचान –
फर्जी पहचान और बेनामी संपत्तियों पर लगाम लगाने के लिए, संपत्ति पंजीकरण को आधार कार्ड से जोड़ना अनिवार्य कर दिया गया है।
यह व्यवस्था बायोमेट्रिक पहचान के माध्यम से खरीदार और विक्रेता दोनों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करेगी।
आधार सत्यापन से संपत्ति के स्वामित्व का रिकॉर्ड भी सुरक्षित और आसानी से ट्रैक करने योग्य (Trackable) बन जाएगा।
3. वीडियो रिकॉर्डिंग की अनिवार्यता –
पंजीकरण की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।
रजिस्ट्रेशन के दौरान संपूर्ण कार्यवाही का वीडियो रिकॉर्ड करना अनिवार्य होगा।
यह प्रावधान यह सुनिश्चित करेगा कि पंजीकरण बिना किसी दबाव, धोखाधड़ी या जबरदस्ती के किया गया है।
भविष्य में किसी भी कानूनी विवाद की स्थिति में, यह वीडियो ठोस साक्ष्य के रूप में काम करेगा, जिससे जवाबदेही और पारदर्शिता बनी रहेगी।
4. इलेक्ट्रॉनिक शुल्क भुगतान प्रणाली –
अब संपत्ति पंजीकरण से जुड़ी सभी फीस (स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क) का भुगतान केवल डिजिटल माध्यम से होगा।
नकद लेनदेन (Cash Transactions) की व्यवस्था को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है।
ऑनलाइन भुगतान से न केवल प्रक्रिया सुरक्षित होगी, बल्कि यह वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करेगी और किसी भी प्रकार के अनियमित लेनदेन पर अंकुश लगाएगी।
पंजीकरण निरस्तीकरण (Cancellation) के कड़े नियम :
नए नियमों में रजिस्ट्री रद्द करने के प्रावधानों को भी संशोधित किया गया है, जिसका मुख्य उद्देश्य फर्जीवाड़े को रोकना है।
अधिकांश राज्यों में निरस्तीकरण के लिए आमतौर पर 90 दिन की समय सीमा निर्धारित की गई है।
रजिस्ट्री केवल फर्जी दस्तावेज़ पाए जाने, आर्थिक असमर्थता (Financial Inability) या पारिवारिक विवाद जैसे वैध कारणों पर ही रद्द की जा सकेगी।
सबसे महत्वपूर्ण बदलाव: यदि पंजीकरण के दौरान गलत या जाली दस्तावेज़ पाए जाते हैं, तो आपकी रजिस्ट्री को सीधे तौर पर कैंसिल किया जा सकता है।
आवेदन शहरी क्षेत्रों में नगर निगम और ग्रामीण क्षेत्रों में तहसील कार्यालय में करना होगा।
रजिस्ट्री के लिए आवश्यक दस्तावेज़ों की सूची :
संपत्ति पंजीकरण के लिए अब पहले से कहीं अधिक सटीक और सत्यापित दस्तावेज़ों की आवश्यकता होगी:
वर्ग आवश्यक दस्तावेज़ संपत्ति दस्तावेज़ संपत्ति का स्वामित्व दस्तावेज़ (Title Deed), बिक्री विलेख (Sale Deed), संपत्ति कर रसीद (Property Tax Receipt) पहचान प्रमाण आधार कार्ड (अनिवार्य) , पैन कार्ड (अनिवार्य), और एक फोटो पहचान पत्र (वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस या पासपोर्ट)अन्य अनापत्ति प्रमाण पत्र (No Objection Certificate – NOC), संपत्ति का नक़्शा (Map)
स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क की नई संरचना :
सरकार ने स्टाम्प शुल्क (Stamp Duty) की दरों को संपत्ति के मूल्य के आधार पर स्लैब में विभाजित किया है:
संपत्ति मूल्य स्लैब स्टाम्प शुल्क दर ₹20 लाख तक 2 प्रतिशत ₹21 लाख से ₹45 लाख तक 3 प्रतिशत ₹45 लाख से अधिक 5 प्रतिशत
इसके अतिरिक्त, 10 प्रतिशत उपकर (Cess) भी लागू होगा।
अधिभार (Surcharge): ₹35 लाख रुपये से अधिक मूल्य की संपत्ति पर अधिभार लागू होगा, जो शहरी क्षेत्रों में 2% और ग्रामीण क्षेत्रों में 3% होगा।
पंजीकरण शुल्क: यह संपत्ति के कुल मूल्य का 1 प्रतिशत निर्धारित किया गया है।
नए नियमों से नागरिकों को होने वाले लाभ :
ये क्रांतिकारी बदलाव संपत्ति धारकों, खरीदारों और पूरे रियल एस्टेट बाज़ार के लिए अत्यंत लाभदायक सिद्ध होंगे:
तेज़ और सुगम प्रक्रिया: ऑनलाइन प्रणाली से प्रक्रिया में तेजी आएगी और दफ्तरों के अनावश्यक चक्कर खत्म होंगे।
धोखाधड़ी पर नियंत्रण: आधार सत्यापन और वीडियो रिकॉर्डिंग से फर्जीवाड़े और जालसाजी पर प्रभावी नियंत्रण लगेगा।
सुरक्षित रिकॉर्ड: रिकॉर्ड का डिजिटल संरक्षण बेहतर होगा, जिससे दस्तावेज़ों के खोने या नष्ट होने का खतरा कम होगा।
पारदर्शिता: हर कदम का ऑनलाइन रिकॉर्ड होने से पूरी व्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ेगी, जिससे विवादों की संभावना कम होगी।
महत्वपूर्ण सुझाव :
चूंकि संपत्ति कानून समय-समय पर बदलते रहते हैं, इसलिए ज़मीन या मकान खरीदने/बेचने से पहले निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:
स्थानीय पंजीयक कार्यालय (Local Registrar Office) से संपर्क कर नए नियमों की सटीक जानकारी ज़रूर लें।
किसी भी कानूनी जटिलता से बचने के लिए, किसी विशेषज्ञ कानूनी सलाहकार की सहायता लेना हमेशा फायदेमंद होता है।
नए नियमों की विस्तृत जानकारी के लिए सरकारी वेबसाइट पर उपलब्ध आधिकारिक दिशा-निर्देशों को ध्यान से पढ़ें।
यह नई प्रणाली भारत में संपत्ति लेनदेन को सुरक्षित, पारदर्शी और कुशल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।Property Registration